बेदारी-ए-एहसास है उलझन मेरी
बेदारी-ए-एहसास है उलझन मेरी
हल्क़े में मसाइब के है गर्दन मेरी
ठहराएँ किसे मोरीद-ए-इल्ज़ाम कि ख़ुद
है फ़ितरत-ए-हस्सास ही दुश्मन मेरी
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बेदारी-ए-एहसास है उलझन मेरी
हल्क़े में मसाइब के है गर्दन मेरी
ठहराएँ किसे मोरीद-ए-इल्ज़ाम कि ख़ुद
है फ़ितरत-ए-हस्सास ही दुश्मन मेरी
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