Ghazals of Naushad Ali
नाम | नौशाद अली |
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अंग्रेज़ी नाम | Naushad Ali |
जन्म की तारीख | 1919 |
मौत की तिथि | 2006 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ज़ंजीर-ए-जुनूँ कुछ और खनक हम रक़्स-ए-तमन्ना देखेंगे
ये बातें आज की कल जिस किताब में लिखना
उलझे तो सब नशेब-ओ-फ़राज़-ए-हयात में
ठोकरें खाइए पत्थर भी उठाते चलिए
सब कुछ सर-ए-बाज़ार-ए-जहाँ छोड़ गया है
सब कुछ सर-ए-बाज़ार जहाँ छोड़ गया है
पहले तो डर लगा मुझे ख़ुद अपनी चाप से
न मंदिर में सनम होते न मस्जिद में ख़ुदा होता
मुझ को मुआफ़ कीजिए रिंद-ए-ख़राब जान के
क्यूँ मिली थी हयात याद करो
ख़ुद मिट के मोहब्बत की तस्वीर बनाई है
ख़ैर माँगी जो आशियाने की
जहाँ तक याद-ए-यार आती रहेगी
हम दोस्तों के लुत्फ़-ओ-करम देखते रहे
हाए कैसी वो शाम होती है
इक बे-क़रार दिल से मुलाक़ात कीजिए
दुनिया कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है
दीदा-ए-अश्क-बार ले के चले
बहुत ही दिल-नशीं आवाज़-ए-पा थी
अपनी तदबीर न तक़दीर पे रोना आया
अभी साज़-ए-दिल में तराने बहुत हैं
आग इक और लगा देंगे हमारे आँसू
आबादियों में दश्त का मंज़र भी आएगा