ये ख़ूबसूरत मूरत
जो सदियों से
इंसानी तहज़ीब की अमीन है
शायद
किसी दीवाने की सदाएँ
पत्थरों पर
मुंजमिद हो जाने से बनी थी
उस के जज़्बात की अक्कास है
जिन के तक़द्दुस ने
फ़न का रूप ले कर
एक बे-जान जिस्म में
ज़िंदगी डाल दी
जो आज भी ज़िंदा है
कल भी रहेगी
कि वो
मोहब्बत है
जिस की सिफ़त
कभी फ़ना नहीं होती