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मिरा वजूद है इक नक़्श-ए-आब की सूरत - नो बहार साबिर कविता - Darsaal

मिरा वजूद है इक नक़्श-ए-आब की सूरत

मिरा वजूद है इक नक़्श-ए-आब की सूरत

शिकस्त जिस का मुक़द्दर है ख़्वाब की सूरत

बिखर न जाऊँ फ़ज़ा में वरक़ वरक़ हो कर

हवा की ज़द में हूँ कोहना किताब की सूरत

तनाव हद से बढ़ेगा तो टूट जाएँगे

दिलों के राब्ते तार-ए-रबाब की सूरत

किसी भी लम्हे निकल जाऊँगा हवा की तरह

मिरा बदन है हिसार-ए-हबाब की सूरत

दरून-ए-सीना कोई चीख़ता है शाम-ओ-सहर

ये क़हक़हे तो हैं रुख़ पर नक़ाब की सूरत

ग़ुरूर-ए-वक़्त से नश्शा हुआ सिवा 'साबिर'

मिरी अना थी पुरानी शराब की सूरत

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In Hindi By Famous Poet Nau Bahar Sabir. is written by Nau Bahar Sabir. Complete Poem in Hindi by Nau Bahar Sabir. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.