काँटे को फूल संग को गौहर कहा गया
काँटे को फूल संग को गौहर कहा गया
इस शहर में गदा को सिकंदर कहा गया
बे-चेहरा लोग हुस्न का मेआ'र बन गए
परछाइयों को नूर का पैकर कहा गया
जल्लाद को मसीहा-नफ़स की सनद मिली
इंसान-दुश्मनों को पयम्बर कहा गया
कुछ जिस के पास नीश-ओ-नमक के सिवा न था
चाक-ए-जिगर का उस को रफ़ू-गर कहा गया
क्या शय है मस्लहत भी शब-ए-तीरा-फ़ाम को
दानिशवरों में सुब्ह-ए-मुनव्वर कहा गया
गूँगा है कर रहा है इशारों में बात-चीत
'साबिर' को किस बिना पे सुख़नवर कहा गया
(379) Peoples Rate This