नो बहार साबिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नो बहार साबिर
नाम | नो बहार साबिर |
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अंग्रेज़ी नाम | Nau Bahar Sabir |
ज़ुल्मत-ए-शब से उलझना है सहर होने तक
टूटता हूँ कभी जुड़ता हूँ मैं
सीम-ओ-ज़र चाहे न अलमास-ओ-गुहर माँगे है
मिरा वजूद है इक नक़्श-ए-आब की सूरत
मैं ख़ुद गया न उस की अदा ले गई मुझे
काँटे को फूल संग को गौहर कहा गया
कभी दहकती कभी महकती कभी मचलती आई धूप
जब सुख़न मौज-ए-तख़य्युल से रवानी माँगे
हयात क्या है मआल-ए-हयात क्या होगा
हर एक शख़्स ख़फ़ा मुझ से अंजुमन में था
हर एक शख़्स ख़फ़ा मुझ से अंजुमन में था
दूर था साहिल बहुत दरिया भी तुग़्यानी में था
दूर के जल्वों की शादाबी का दिल-दादा न हो
बूँद पानी की हूँ थोड़ी सी हवा है मुझ में
बादल अम्बर पे न धरती पे शजर है बाबा