हाँ ये तो बता ऐ दिल-ए-महरूम-ए-तमन्ना
अब भी कोई होता है कि अरमाँ नहीं होता
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इंतिज़ाम-ए-रोज़-ए-इशरत और कर ऐ ना-मुराद
हिचकियों पर हो रहा है ज़िंदगी का राग ख़त्म
दूसरा ऐसा कहाँ ऐ दश्त ख़ल्वत का मक़ाम
क्यूँ ख़याल-ए-रंज-ओ-राहत से न हों बेगाना हम
मिरे ग़म की उन्हें किस ने ख़बर की
तुम ऐसे अच्छे कि अच्छे नहीं किसी के साथ
तुम्हारी बात का इतना है ए'तिबार हमें
ढूँडती है इज़्तिराब-ए-शौक़ की दुनिया मुझे
कभी सोज़-ए-दिल का गिला किया कभी लब से शोर-ए-फ़ुग़ाँ उठा
अव्वल अव्वल ख़ूब दौड़ी कश्ती-ए-अहल-ए-हवस
बे-ख़ुद-ए-शौक़ हूँ आता है ख़ुदा याद मुझे
ढूँढती है इज़्तिराब-ए-शौक़ की दुनिया मुझे