दोस्ती किस की रही याद वो किस पर भूला
दूसरा बीच में कौन आ के मरा मेरे बा'द
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ढूँढ तो बुत भी यहीं मिल जाएँगे मर्द-ए-ख़ुदा
सुब्ह-ए-पीरी में फिरा शाम-ए-जवानी का गया
हम पाँव भी पड़ते हैं तो अल्लाह-रे नख़वत
रह के अच्छा भी कुछ भला न हुआ
वस्फ़-ए-जमाल-ए-ज़ौक़ है अहल-ए-निगाह का
ऐ बादा-कश गई है मय-ए-ऐश किस के साथ
महफ़िल-ए-नाज़ से मैं हो के परेशान उठा
सर्द हो जाती है फ़िक्र-ए-जाह-ए-दुनिया जिस के बअ'द
हो गई आवारागर्दी बे-घरी की पर्दा-दार
ग़म-ओ-अंदोह का लश्कर भी चला आता है
मिरे ग़म की उन्हें किस ने ख़बर की