देख ये बार कभी सर से उतरता ही नहीं
ज़िंदगी भर की मुसीबत है न एहसान उठा
Habib Jalib
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(289) Peoples Rate This
वस्फ़-ए-जमाल-ए-ज़ौक़ है अहल-ए-निगाह का
ऐ शब-ए-हिज्राँ ज़ियादा पाँव फैलाती है क्यूँ
अव्वल अव्वल ख़ूब दौड़ी कश्ती-ए-अहल-ए-हवस
आ के बज़्म-ए-हस्ती में क्या बताएँ क्या पाया
हाँ जान तो देंगे मगर ऐ मौत अभी दम ले
मजनूँ से जो नफ़रत है दीवानी है तू लैला
आज मय-ख़ाने में बरकत ही सही
इंतिज़ाम-ए-रोज़-ए-इशरत और कर ऐ ना-मुराद
रिंदान-ए-बादा-नोश की छागल उठा तो ला
ज़िक्र-ए-शराब-ए-नाब पे वाइ'ज़ उखड़ गया
कैफ़ियत-ए-तज़ाद अगर हो न बयान-ए-शे'र में