ऐ दिल-ए-शिकवा-संज क्या गुज़री
किस लिए होंट रह गए सिल के
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अव्वल अव्वल ख़ूब दौड़ी कश्ती-ए-अहल-ए-हवस
वो मिज़ाज पूछ लेते हैं सलाम कर के देखो
इज़्तिराब-ए-दिल में आ जा कर दवाम आ ही गया
आलम-ए-कौन-ओ-मकाँ नाम है वीराने का
क्या इरादे हैं वहशत-ए-दिल के
मुद्दतें हो गई होता नहीं फेरा तेरा
जी चुराने की नहीं शर्त दिल-ए-ज़ार यहाँ
दयार-ए-होश की पहले जुनूँ ख़बर लेना
हमारे ऐब में जिस से मदद मिले हम को
गुज़रती है मज़े से वाइ'ज़ों की ज़िंदगी अब तो
सर्द हो जाती है फ़िक्र-ए-जाह-ए-दुनिया जिस के बअ'द
हँस के नहीं तो रो के भी उम्र गुज़र ही जाएगी