Ghazals of Natiq Gulavthi (page 2)
नाम | नातिक़ गुलावठी |
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अंग्रेज़ी नाम | Natiq Gulavthi |
इस ग़म को ग़म कहें तो कहें सौ में हम ग़लत
ग़म जुदा पेश रहा है मिरे अफ़्कार जुदा
ढूँडती है इज़्तिराब-ए-शौक़ की दुनिया मुझे
ढूँढती है इज़्तिराब-ए-शौक़ की दुनिया मुझे
देखता रहता हूँ अक्सर शाम-ए-क़ुदरत देख कर
दयार-ए-होश की पहले जुनूँ ख़बर लेना
दम कोई दम का है मेहमाँ अलविदा'अ
भर पाए जान-ए-ज़ार तिरी दोस्ती से हम
भाग कि मंज़िल-ए-क़रार उम्र की रहगुज़र नहीं
बज़्म-ए-दुनिया जिस को कहते हैं वो पागल-ख़ाना था
बादा-मस्ती आ करामत हो के मयख़ाने में आ
ऐ मुसव्विर सूरत-ए-दिल-गीर खींच
आया तो दिल-ए-वहशी दर-बंद-ए-नियाज़ आया
आलम-ए-कौन-ओ-मकाँ नाम है वीराने का
आज मय-ख़ाने में बरकत ही सही
आ के बज़्म-ए-हस्ती में क्या बताएँ क्या पाया
आ गई दिल की लगी बढ़ के रग-ए-जाँ के क़रीब