नातिक़ गुलावठी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नातिक़ गुलावठी (page 4)
नाम | नातिक़ गुलावठी |
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अंग्रेज़ी नाम | Natiq Gulavthi |
अव्वल अव्वल ख़ूब दौड़ी कश्ती-ए-अहल-ए-हवस
ऐसे बोहतान लगाए कि ख़ुदा याद आया
ऐ ज़िंदगी जुनूँ न सही बे-ख़ुदी सही
ऐ शब-ए-हिज्राँ ज़ियादा पाँव फैलाती है क्यूँ
ऐ निगाह-ए-मस्त उस का नाम है कैफ़-ए-सुरूर
ऐ जुनूँ बाइस-ए-बदहाली-ए-सहरा क्या है
ऐ दिल-ए-शिकवा-संज क्या गुज़री
ऐ बादा-कश गई है मय-ए-ऐश किस के साथ
अहल-ए-जुनूँ पे ज़ुल्म है पाबंदी-ए-रुसूम
अब कहें किस से कि उन से बात करना है गुनाह
अब कहाँ गुफ़्तुगू मोहब्बत की
अब जहाँ में बाक़ी है आह से निशाँ अपना
अब गर्दिश-ए-दौराँ को ले आते हैं क़ाबू में
आती है याद सुब्ह-ए-मसर्रत की बार बार
आलम-ए-कौन-ओ-मकाँ नाम है वीराने का
आख़िर को राहबर ने ठिकाने लगा दिया
आ उम्र-ए-रफ़्ता हश्र के दम-ख़म भी देख लें
आ के बज़्म-ए-हस्ती में क्या बताएँ क्या पाया
ज़ाहिर न था नहीं सही लेकिन ज़ुहूर था
वो मिज़ाज पूछ लेते हैं सलाम कर के देखो
वस्फ़-ए-जमाल-ए-ज़ौक़ है अहल-ए-निगाह का
उसी की देन है ग़म में गिला नहीं करता
तो आख़िर साज़-ए-हस्ती क्यूँ तरब-आहंग-ए-महफ़िल था
शम-ए-कुश्ता की तरह मैं तिरी महफ़िल से उठा
सर्द हो जाती है फ़िक्र-ए-जाह-ए-दुनिया जिस के बअ'द
रिंदान-ए-बादा-नोश की छागल उठा तो ला
रिंद की काएनात क्या है ख़ाक
रहते हैं इस तरह से ग़म-ओ-यास आस-पास
रह के अच्छा भी कुछ भला न हुआ
पहुँच गए तो करेंगे इधर-उधर की तलाश