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हम ने होंटों पे तबस्सुम को सजा कर देखा - नसरीन नक़्क़ाश कविता - Darsaal

हम ने होंटों पे तबस्सुम को सजा कर देखा

हम ने होंटों पे तबस्सुम को सजा कर देखा

या'नी ज़ख़्मों को फिर इक बार हरा कर देखा

सारी दुनिया में नज़र आने लगे तेरे नुक़ूश

पर्दा जब चश्म-ए-बसीरत से उठा कर देखा

दूर फिर भी न हुई क़ल्ब-ओ-नज़र की ज़ुल्मत

हम ने ख़ूँ अपना चराग़ों में जला कर देखा

अपना चेहरा नज़र आया मुझे उस चेहरे में

इस के चेहरे से जो चेहरे को हटा कर देखा

वो तअल्लुक़ तिरी इक ज़ात से जो था मुझ को

इस तअल्लुक़ को बहर-ए-हाल निभा कर देखा

बर्फ़ ही बर्फ़ नज़र आती है ता-हद्द-ए-नज़र

ज़िंदगी हम ने तिरी खोज में जा कर देखा

जावेदाँ हो गया हर नग़मा-ए-पुर-दर्द मिरा

मेरे होंटों से ज़माने ने चुरा कर देखा

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In Hindi By Famous Poet Nasreen Naqqash. is written by Nasreen Naqqash. Complete Poem in Hindi by Nasreen Naqqash. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.