Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f07e89de39615a67c0678d19aa6f1a01, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बाज़ी जिन के हाथ रही - नसरीन अंजुम भट्टी कविता - Darsaal

बाज़ी जिन के हाथ रही

जितनी देर में तुम एक आहट से उतरते हो

और सवेर से अपनी पलकें इकट्ठी करते हो

उतनी देर में एक नज़्म बन चुकी होती है

नज़्म जिस की आँखों से लोबान की ख़ुशबू और पलकों

से नम टपकता हो

और वो अपनी पहचान के लिए ख़ुद अपना वसीला बने

लेकिन अगर इस के ब'अद के वसीले ज़्यादा मो'तबर ठहरें

तो हैरतें अफ़सोस और पछतावे रद्द-ए-दुआ

जब मोहब्बतें इंसान से कम-तर हवालों की मुहताज हो जाएँ

तो वो सीढ़ियाँ उतर जाती हैं आसमान नहीं रहतीं

ज़मीन का हवाला मोहब्बत है

और वो जानवर ज़्यादा अच्छी तरह निभा सकते हैं

बहुत क़दीम से किया कव्वों ने नहीं बताया कि अपना जुर्म

और अपनी आख़िरत को मिट्टी से पर्दा-पोश करो

और क्या कुत्ते ए'तिबार की आख़िरी हद नहीं हैं

जो कहते हैं मेरे महबूब सो जा! मैं हूँ ना

मैं हूँ ना!

ज़लज़लों की ख़बर देने के लिए

मैं तेरी मुसीबत-ज़दा नस्ल को कहीं से भी ढूँड लाऊँगा

अगर तेरी मोहब्बत की निशानियाँ उन के हाथों की उँगलियों में न भी मिलें

वो तुझे ज़रूर मिल जाएँगे

उन के हाथ और बाज़ू तेरे भाई-बंदों ने काट लिए

लेकिन मैं अपने मुँह का निवाला उन्हें दे कर ही लौटूँगा

मैं मुसीबत के सब दिनों में तेरे साथ हूँ

मैं सग-ए-दर हूँ मिरी तुझ से सगाई है!

(449) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nasreen Anjum Bhatti. is written by Nasreen Anjum Bhatti. Complete Poem in Hindi by Nasreen Anjum Bhatti. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.