साँस में साजना हवा की तरह
साँस का सिलसिला हवा से है
Anwar Masood
Wasi Shah
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(353) Peoples Rate This
पाँव के नीचे सरकती हुई रीत
दो एक साल ही इक से सराही जाती है
कह दे मन की बात तो गोरी काहे को शरमाती है
इक ख़ित्ता-ए-ख़ूँ में कहीं दरिया के किनारे
पास भी रह कर दूर है तो
रब्त भी तोड़ा बनी नित की तलब का बेस भी
खड़ा जूड़ा गुँधी बालों की चोटी
नैन नशे की चढ़ती नुमू पर
मजमा' नहीं मुजल्ला है अशआ'र की जगह
रंग और रूप के प्रदीप में खोने दे मुझे
शाह-बलूत के ऊपर देख
बेकल है मुख निगाह में बोसों की प्यास है