तो शराफ़तों का मक़ाम है तो सदाक़तों का दवाम है
तो शराफ़तों का मक़ाम है तो सदाक़तों का दवाम है
जहाँ फ़र्क़-ए-शाह-ओ-गदा नहीं तिरे दीन का वो निज़ाम है
जिन्हें तिरे नाम की चाह है ये ज़मीन उन की गवाह है
वहीं कर्बला का वो दश्त है वहीं क़स्र-ए-कूफ़ा-ओ-शाम है
कहीं कंकरों को ज़बान दे कहीं सच को हर्फ़-ए-बयान दे
दर-ए-हद हद-ए-इनआ'म है सर-ए-क़द क़द-ए-इल्हाम है
तिरा रूप रूह के रू-ब-रू तिरी प्रीत प्रान में मू-ब-मू
तू कमाल-ए-हुस्न-ए-कलाम है तू मिसाल माह-ए-तमाम है
तू ने ख़ौफ़-ए-मर्ग मिटा दिया तू ने हक़ को जीना सिखा दिया
तू हसन हुसैन का पेशवा तू अली-ए-वली का इमाम है
तिरा बोद बोद-ए-हयात है तेरा क़ुर्ब क़ुर्ब-ए-नजात है
तू रुतों का रंग-ए-रवाँ-दवाँ तो सुमों का संग-ए-मुदाम है
तले तेग़ के वो इबादतें तिरी शान की वो शहादतें
वो हिकायतें वो रिवायतें तिरे सारे घर पे सलाम है
तो शुऊ'र-ए-ज़ीस्त का तर्जुमाँ कभी जुज़्व-ए-जाँ कभी ला-मकाँ
यहाँ अर्श-ए-फ़र्क़ पे जावेदाँ तिरा नूर है तिरा नाम है
सभी हर्फ़ तेरे हरीम हैं सभी अक्स तेरे अज़ीम हैं
सभी सज-सुख़न तिरे वास्ते सभी बात तुझ पे तमाम है
(550) Peoples Rate This