पास भी रह कर दूर है तो
पास भी रह कर दूर है तो
मैं बे-बस मजबूर है तू
प्यासी अखियाँ ढूँढ थकीं
बोल कहाँ मस्तूर है तू
रोग और जोग अटूट सही
आस या पास ज़रूर है तू
एक अकेला मैं बेकल
तन्हा चकना-चूर है तू
प्यार इक़रार से जोड़ सभी
में दुनिया दस्तूर है तू
हाथ से दूर निगह से जुदा
दिल में नूर-ए-ज़ुहूर है तू
हर चौखट में निरास उदास
हर आँगन रंजूर है तू
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