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नस नस में नशा प्यार का मामूर हुआ है - नासिर शहज़ाद कविता - Darsaal

नस नस में नशा प्यार का मामूर हुआ है

नस नस में नशा प्यार का मामूर हुआ है

दिल तेरे मिलन के लिए मजबूर हुआ है

वादी में बरस कर अभी बरसात छटी है

चिड़ियों की चहक से समय मसरूर हुआ है

आँखों की गुज़रगाह से दर आया है दिल में

तू मेरे तसर्रुफ़ से बहुत दूर हुआ है

सौ बार तिरा मेरा फ़साना हुआ यकजा

सौ बार मरे संग तू मज़कूर हुआ है

तू रंग महक रूप में आया तुझे पाया

इज़हार तिरे प्यार का भरपूर हुआ है

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In Hindi By Famous Poet Nasir Shahzad. is written by Nasir Shahzad. Complete Poem in Hindi by Nasir Shahzad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.