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धरती पे ज़िंदगी के अमिट ए'तिमाद को - नासिर शहज़ाद कविता - Darsaal

धरती पे ज़िंदगी के अमिट ए'तिमाद को

धरती पे ज़िंदगी के अमिट ए'तिमाद को

जी ख़ुश हुआ है देख के अपने किमाद को

ख़ुद मिट गया मिटाता हुआ सतवत-ए-हुसैन

तारीख़ मात दे गई इब्न-ए-ज़ियाद को

ता-उम्र मरना जीना रहे साजना के संग

दिल लोभता है ऐसे ही आशीर्वाद को

कोहना कहानियाँ सुनें लेकिन बुनें चुनें

अशआ'र के सवाद में ताज़ा मवाद को

सौंपे हैं मैं ने जंगली चिड़ियों के चहचहे

उस मध-मखी की याद को मन की मुराद को

क़र्ज़ा उतारा ए-सी ख़रीदा मंगाया डिश

इस साल खेतियों में लगाया था खाद को

ना'रा अली का विर्द करे संख की सदा

चिम्टों के साथ ढोल बजें फूंकें नाद को

आख़िर हमें भी पड़ गया हिजरत से वास्ता

रखता है कौन शहर में सहरा-नज़ाद को

बन-बास की असास भरे रूह के भँवर

मौला लगा सुहाग मिरी सोच-साध को

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In Hindi By Famous Poet Nasir Shahzad. is written by Nasir Shahzad. Complete Poem in Hindi by Nasir Shahzad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.