कुछ तो एहसास-ए-ज़ियाँ था पहले
कुछ तो एहसास-ए-ज़ियाँ था पहले
दिल का ये हाल कहाँ था पहले
अब तो झोंके से लरज़ उठता हूँ
नश्शा-ए-ख़्वाब-ए-गिराँ था पहले
अब तो मंज़िल भी है ख़ुद गर्म-ए-सफ़र
हर क़दम संग-ए-निशाँ था पहले
सफ़र-ए-शौक़ के फ़रसंग न पूछ
वक़्त बे-क़ैद मकाँ था पहले
ये अलग बात कि ग़म रास है अब
उस में अँदेशा-ए-जाँ था पहले
यूँ न घबराए हुए फिरते थे
दिल अजब कुंज-ए-अमाँ था पहले
अब भी तू पास नहीं है लेकिन
इस क़दर दूर कहाँ था पहले
डेरे डाले हैं बगूलों ने जहाँ
उस तरफ़ चश्मा रवाँ था पहले
अब वो दरिया न वो बस्ती न वो लोग
क्या ख़बर कौन कहाँ था पहले
हर ख़राबा ये सदा देता है
मैं भी आबाद मकाँ था पहले
उड़ गए शाख़ से ये कह के तुयूर
सर्व इक शोख़ जवाँ था पहले
क्या से क्या हो गई दुनिया प्यारे
तू वहीं पर है जहाँ था पहले
हम ने आबाद किया मुल्क-ए-सुख़न
कैसा सुनसान समाँ था पहले
हम ने बख़्शी है ख़मोशी को ज़बाँ
दर्द मजबूर-ए-फ़ुग़ाँ था पहले
हम ने ईजाद किया तेशा-ए-अश्क
शोला पत्थर में निहाँ था पहले
हम ने रौशन किया मामूरा-ए-ग़म
वर्ना हर सम्त धुआँ था पहले
हम ने महफ़ूज़ किया हुस्न-ए-बहार
इत्र-ए-गुल सर्फ़-ए-ख़िज़ाँ था पहले
ग़म ने फिर दिल को जगाया 'नासिर'
ख़ाना-बर्बाद कहाँ था पहले
(372) Peoples Rate This