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ज़ख़्म-ए-दिल को तसल्लियाँ दे दो - नासिर जौनपुरी कविता - Darsaal

ज़ख़्म-ए-दिल को तसल्लियाँ दे दो

ज़ख़्म-ए-दिल को तसल्लियाँ दे दो

मेरे फूलों को तितलियाँ दे दो

सच को तुम क़त्ल कर न पाओगे

चाहे जितनी गवाहियाँ दे दो

चाँद तारे शफ़क़ धनक आकाश

इन दरीचों को कुंजियाँ दे दो

ग़ज़लें बे-कैफ़ हो रही हैं मिरी

अपने होंटों की सुर्ख़ियाँ दे दो

क्या करोगे निशानियाँ रख कर

इन हवाओं को छुट्टियाँ दे दो

हिचकियाँ रात दर्द तन्हाई

आ भी जाओ तसल्लियाँ दे दो

ज़ुल्फ़ भी है तुम्हारा 'नासिर' भी

जो न हल हों पहेलियाँ दे दो

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In Hindi By Famous Poet Nasir Jaunpuri. is written by Nasir Jaunpuri. Complete Poem in Hindi by Nasir Jaunpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.