आज वो काम किया है मिरी महबूबा ने
दिल मिरा चाहता है डूब के मर जाने को
इस ने तलवार थमा कर ये रक़ीबों से कहा
कोई पत्थर से न मारे मिरे दीवाने को
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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