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यूँ ठनी रात तिरी याद से तकरार-ए-ख़याल - नासीरुद्दीन कविता - Darsaal

यूँ ठनी रात तिरी याद से तकरार-ए-ख़याल

यूँ ठनी रात तिरी याद से तकरार-ए-ख़याल

गुनगुनाती रही हर आन शब-ए-तार-ए-ख़याल

छोड़ कर मेरे दर-ओ-बाम वो मस्तूर तो है

बन के रहता है मगर नक़्श-ब-दीवार-ए-ख़याल

माँद पड़ने लगी जब आईना-ए-दिल की जिला

एक ही अक्स दिखाने लगा ज़ंगार-ए-ख़याल

हो के ख़ुशबू-ए-गुल-ए-राज़ उड़ेगा इक दिन

कब तलक क़ैद रहेगा पस-ए-दीवार-ए-ख़याल

तुझ से क़ाएम है मिरा सिलसिला-ए-वहम-ओ-यक़ीं

तुझ को देखूँगा किसी रोज़ सर-ए-दार-ए-ख़याल

हर्फ़-ओ-मअनी की तग-ओ-दौ का नतीजा ये हुआ

अपनी आहट से भी डरने लगा रहवार-ए-ख़याल

न कहीं जिंस-ए-गिराँ है न ख़रीदार कोई

कैसा सुनसान पड़ा रहता है बाज़ार-ए-ख़याल

नुक्ता-चीं दिल न था और राह-ए-सफ़र मुश्किल थी

लोग हर मोड़ पे करते रहे इज़हार-ए-ख़याल

याद आया मुझे उस शख़्स का जाना 'नासिर'

जिस की शर्मिंदा-ए-एहसान है रफ़्तार-ए-ख़याल

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In Hindi By Famous Poet Naseeruddin. is written by Naseeruddin. Complete Poem in Hindi by Naseeruddin. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.