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सरहद-ए-आवाज़ दिल का दूर से पत्थर न देख - नासीरुद्दीन कविता - Darsaal

सरहद-ए-आवाज़ दिल का दूर से पत्थर न देख

सरहद-ए-आवाज़ दिल का दूर से पत्थर न देख

ताइर-ए-शौक़-ए-नवा तूफ़ान के तेवर न देख

मतला-ए-अनवार है गो आज तेरा आसमाँ

डूबते सूरज की किरनों को मगर तन कर न देख

दे लब-ए-ख़ामोश तक आई हुई बातों पे ध्यान

गर सर-ए-मिज़्गाँ खुला इक दर्द का दफ़्तर न देख

बर्ग-ए-ख़ुश्क-ओ-तर रह-ए-ज़ेर-ओ-ज़बर इक वाहिमा

ऐ अदा-ए-कजरवी अब शोख़ी-ए-सरसर न देख

उस के जल्वों से परे इक दर्द की आवाज़ सुन

ख़्वाब की ताबीर से डर ख़्वाब का मेहवर न देख

साफ़-गोई जुज़्व-ए-ईमाँ है तो 'नासिर' बे-झिजक

जी में जो आ जाए कह दे जानिब-ए-मिम्बर न देख

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In Hindi By Famous Poet Naseeruddin. is written by Naseeruddin. Complete Poem in Hindi by Naseeruddin. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.