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इतना मानूस है दिल आप के अफ़्साने से - नसीर आरज़ू कविता - Darsaal

इतना मानूस है दिल आप के अफ़्साने से

इतना मानूस है दिल आप के अफ़्साने से

अब किसी तौर बहलता नहीं बहलाने से

जाम-ओ-मीना के तअय्युन से है बाला साक़ी

ज़र्फ़ देखा नहीं जाता किसी पैमाने से

आओ तजदीद-ए-वफ़ा फिर से करें हम वर्ना

बात कुछ और उलझ जाएगी सुलझाने से

है समझना तो मोहब्बत से गुज़र ऐ हमदम

बात आएगी समझ में न यूँ समझाने से

अब न चाहेंगे किसी और को तस्लीम मगर

फ़ाएदा क्या है मिरे सर की क़सम खाने से

मैं तही-होश सही आप का इरशाद बजा

आप बेकार उलझने लगे दीवाने से

'आरज़ू' शिकवा-ब-लब हो तो रहे हो लेकिन

फ़ाएदा गुज़री हुई बात को दोहराने से

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In Hindi By Famous Poet Naseer Arzoo. is written by Naseer Arzoo. Complete Poem in Hindi by Naseer Arzoo. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.