अपने क़ातिल के लिए एक नज़्म
अगर मेरे सीने में ख़ंजर उतारो
तो ये सोच लेना
हवा का कोई जिस्म होता नहीं है
हवा तो रवानी है
उम्रों के बहते समुंदर की
लम्बी कहानी है
आग़ाज़ जिस का न अंजाम जिस का
अगर मेरे सीने में ख़ंजर उतारो
तो ये सोच लेना
हवा मौत से मावरा है
हवा माँ के हाथों की थपकी
हुआ लोरियों की सदा है
हवा नन्हे बच्चों के होंटों से
निकली दुआ है
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