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दर्द के पीले गुलाबों की थकन बाक़ी रही - नसीर अहमद नासिर कविता - Darsaal

दर्द के पीले गुलाबों की थकन बाक़ी रही

दर्द के पीले गुलाबों की थकन बाक़ी रही

जागती आँखों में ख़्वाबों की थकन बाक़ी रही

पानियों का जिस्म सहलाती रही पुर्वा मगर

टूटते बनते हबाबों की थकन बाक़ी रही

दीद की आसूदगी में कौन कैसे देखता

दरमियाँ कितने हिजाबों की थकन बाक़ी रही

फ़लसफ़े सारे किताबों में उलझ कर रह गए

दर्स-गाहों में निसाबों की थकन बाक़ी रही

बारिशें होती रहें 'नासिर' समुंदर की तरफ़

रेगज़ारों में सराबों की थकन बाक़ी रही

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In Hindi By Famous Poet Naseer Ahmad Nasir. is written by Naseer Ahmad Nasir. Complete Poem in Hindi by Naseer Ahmad Nasir. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.