न अरमाँ ले के आया हूँ न हसरत ले के आया हूँ
न अरमाँ ले के आया हूँ न हसरत ले के आया हूँ
दिल-ए-बेताब में तेरी मोहब्बत ले के आया हूँ
निगाहों में तिरे जल्वों की कसरत ले के आया हूँ
ये आलम है कि इक दुनिया-ए-हैरत ले के आया हूँ
लबों पर ख़ामुशी आँखों में आँसू दिल में बेताबी
मैं उन की बज़्म-ए-इशरत से क़यामत ले के आया हूँ
सर-ए-महशर अगर पुर्सिश हुई मुझ से तो कह दूँगा
सरापा जुर्म हूँ अश्क-ए-नदामत ले के आया हूँ
मिटा कर हस्ती-ए-नाकाम को राह-ए-मोहब्बत में
ज़माने के लिए इक दर्स-ए-इबरत ले के आया हूँ
तलाश-ए-साहिल-ए-मक़्सद जहाँ बे-सूद होती है
मैं उन मौजों में इक पैग़ाम-ए-राहत ले के आया हूँ
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