दाग़-ए-दिल दाग़-ए-तमन्ना मिल गया
दाग़-ए-दिल दाग़-ए-तमन्ना मिल गया
दिल लगाने का नतीजा मिल गया
उस सख़ी की बारगह में क्या कमी
जिस ने जो कुछ उस से माँगा मिल गया
उन के दामन तक पहुँच अब भी नहीं
ख़ाक में मिल कर मुझे क्या मिल गया
अब कमी बेशी का रोना किस लिए
जो मुक़द्दर में लिखा था मिल गया
थी तिरे दर से तलब हर एक को
मुग़्तनिम है जिस को जितना मिल गया
सैंकड़ों इल्ज़ाम लाखों तोहमतें
उन से मिलने का नतीजा मिल गया
लिख गए वो मेरे मदफ़न पर 'नसीम'
ख़ाक में मिल कर तुझे क्या मिल गया
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