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उस तरफ़ से कोई तूफ़ान हवा ले के चली - नसीम निकहत कविता - Darsaal

उस तरफ़ से कोई तूफ़ान हवा ले के चली

उस तरफ़ से कोई तूफ़ान हवा ले के चली

और इधर मैं भी हथेली पे दिया ले के चली

मुझ को ये दर-ब-दरी तू ने ही बख़्शी है मगर

जब चली घर से तो मैं नाम तिरा ले के चली

हादसे राह में थे और सफ़र ज़ालिम था

चंद मासूम लबों से मैं दुआ ले के चली

माल अगर ले के सभी आए तिरी महफ़िल में

मिरे आँचल में वफ़ा थी मैं वफ़ा ले के चली

सब जहाँ हाथ पसारे हुए आए 'निकहत'

ऐसे बाज़ार में मैं अपनी अना ले के चली

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In Hindi By Famous Poet Naseem Nikhat. is written by Naseem Nikhat. Complete Poem in Hindi by Naseem Nikhat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.