नसीम निकहत कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नसीम निकहत
नाम | नसीम निकहत |
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अंग्रेज़ी नाम | Naseem Nikhat |
मुझ को ये दर-ब-दरी तू ने ही बख़्शी है मगर
माना कि मैं हज़ार फ़सीलों में क़ैद हूँ
बंजारे हैं रिश्तों की तिजारत नहीं करते
अपने चेहरे को बदलना तो बहुत मुश्किल है
उस तरफ़ से कोई तूफ़ान हवा ले के चली
रात को शम्अ की मानिंद पिघल कर देखो
मुझ को चराग़-ए-शाम की सूरत जला के देख
बंजारे हैं रिश्तों की तिजारत नहीं करते