दे दें अभी करे जो कोई ख़ूब-रू पसंद
हम को नहीं पसंद दिल-ए-आरज़ू-पसंद
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Habib Jalib
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Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
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हिज्र में जब ख़याल-ए-यार आया
जहाँ में अभी यूँ तो क्या क्या न होगा
तसल्लियाँ भी नहीं उन की छेड़ से ख़ाली
होंगे दिल-ओ-जिगर में निशाँ देख लीजिए
बहार आई है फिर वहशत के सामाँ होते जाते हैं
दिखाए मोजज़े गर वो बुत-ए-अय्यार चुटकी में
तुम्हारी तेग़ से आँखें लगी हैं मरने वालों की
रखना ख़म-ए-गेसू में या दिल को रिहा करना
ग़ैर के घर बन के डाली जाएगी
मुँह मेरी तरफ़ है तो नज़र ग़ैर की जानिब
ज़िक्र-ए-ईफ़ा कुछ नहीं वादा ही वादा हम से है