ज़िक्र-ए-दुश्मन है नागवार किसे
तुम सुनाते हो बार बार किसे
माँग लूँ उम्र ख़िज़्र से लेकिन
तेरे वादे का ए'तिबार किसे
हाए बे-चैन कर दिया दम-ए-ख़्वाब
तू ने ऐ आह-ए-शोला-बार किसे
गालियाँ दे रहे हैं होंटों में
इस अदा पर न आए प्यार किसे
है 'नसीम' एक संग-दिल वो बुत
दिल को देता है मेरे यार किसे