मेरे तड़पने ने तमाशा किया
वो निगह-ए-शौक़ से देखा किया
अश्क ने कीं इश्क़ की ग़म्माज़ियाँ
राज़-ए-दरूँ आँख ने इफ़्शा किया
बलबे ख़लिश ख़ंजर-ए-बेदाद की
सीना को लबरेज़-ए-तमन्ना किया
जो न हुआ आप से बेहतर हुआ
जो न किया आप ने अच्छा किया
वादा-ए-जाँ-बाज़ी-ए-उल्फ़त 'नसीम'
तू ने ये दीवाने सितम क्या किया