जब किसी को ख़फ़ा करे कोई
मर न जाए तो क्या करे कोई
कर रहा है इलाज-ए-वहशत-ए-दिल
चारा-गर की दवा करे कोई
मैं तो नासेह बुतों का नाम न लूँ
दिल न माने तो क्या करे कोई
इस क़दर बे-नियाज़ियाँ तौबा
तुम ख़ुदा हो तो क्या करे कोई
दिल वो पहला सा ऐ 'नसीम' कहाँ
अब हमीं से वफ़ा करे कोई