हम यार की ग़ैरों पे नज़र देख रहे हैं

हम यार की ग़ैरों पे नज़र देख रहे हैं

गो मुँह पे न लाएँगे मगर देख रहे हैं

मुँह मेरी तरफ़ है तो नज़र ग़ैर की जानिब

करते हैं किधर बात किधर देख रहे हैं

कै रोज़ रक़ीबों से निभी रस्म-ए-मोहब्बत

हम भी यही ऐ रश्क-ए-क़मर देख रहे हैं

क़ासिद से जो बीमार बहुत मुझ को सुना था

अख़बार में मरने की ख़बर देख रहे हैं

पुरसाँ नहीं कोई भी 'नसीम' अहल-ए-हुनर का

दुनिया की हवा शाम ओ सहर देख रहे हैं

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In Hindi By Famous Poet Naseem Bharat Puri. is written by Naseem Bharat Puri. Complete Poem in Hindi by Naseem Bharat Puri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.