हिज्र में जब ख़याल-ए-यार आया
लब पे नाला हज़ार बार आया
फिर सफ़ाई की कौन सी सूरत
आप के दिल में जब ग़ुबार आया
कीजिए ज़बह खींचिए ख़ंजर
लीजिए ये गुनाहगार आया
बोले ठुकरा के मेरे मरक़द को
अब तुझे किस तरह क़रार आया
तू ने हासिल 'नसीम' कुछ न किया
कुछ भी तुझ को न मेरे यार आया