Ghazals of Naseem Bharat Puri
नाम | नसीम भरतपूरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Naseem Bharat Puri |
ज़िक्र-ए-ईफ़ा कुछ नहीं वादा ही वादा हम से है
ज़िक्र-ए-दुश्मन है नागवार किसे
यूँही गर अदू की ग़ुलामी करेंगे
उन के पैकान पे पैकान चले आते हैं
सीधा सच्चा तुम्हें ऐ जान-ए-जहाँ जाने कौन
शब-ए-फ़ुर्क़त क़ज़ा नहीं आती
सब लुत्फ़ है ख़ाक-ए-ज़िंदगी का
रखना ख़म-ए-गेसू में या दिल को रिहा करना
नाला-ए-दिल कमाल का निकला
न मानी उस ने एक भी दिल की
मेरे तड़पने ने तमाशा किया
क्या ख़ाक कहूँ मतलब-ए-दिलदार के आगे
जो पूछा सब्र-ए-हिज्र-ए-ग़ैर में क्या हो नहीं सकता
जिधर देख तुम्हारी बज़्म में अग़्यार बैठे हैं
जौर-ए-पैहम की इंतिहा भी है
जहाँ में अभी यूँ तो क्या क्या न होगा
जब किसी को ख़फ़ा करे कोई
हम यार की ग़ैरों पे नज़र देख रहे हैं
होंगे दिल-ओ-जिगर में निशाँ देख लीजिए
हिज्र में जब ख़याल-ए-यार आया
ग़ैर के घर हैं वो मेहमान बड़ी मुश्किल है
ग़ैर के घर बन के डाली जाएगी
दिखाए मोजज़े गर वो बुत-ए-अय्यार चुटकी में
दे दें अभी करे जो कोई ख़ूब-रू पसंद
बेताब हैं किसी की निगाहें नक़ाब में
बहार आई है फिर वहशत के सामाँ होते जाते हैं
आप वो सब की जान लेते हैं