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मिरे लबों पे आते आते कोई बात थक गई - नसीम अंसारी कविता - Darsaal

मिरे लबों पे आते आते कोई बात थक गई

मिरे लबों पे आते आते कोई बात थक गई

ये क्या हुआ कि चलते चलते काएनात थक गई

मैं रौशनी पे ज़िंदगी का नाम लिख के आ गया

उसे मिटा मिटा के ये सियाह रात थक गई

मैं ज़िंदगी के फ़ासलों को नापने निकल पड़ा

क़रीब-ए-मंज़िल-ए-सफ़र मिरी हयात थक गई

बड़ा कठिन है दोस्तो ख़ुद अपनी ज़ात का सफ़र

कभी कभी तो यूँ हुआ कि अपनी ज़ात थक गई

रहे जुनूँ के हौसले बुलंद से बुलंद-तर

ख़ुद आगही हज़ार बार दे के मात थक गई

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In Hindi By Famous Poet Naseem Ansari. is written by Naseem Ansari. Complete Poem in Hindi by Naseem Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.