Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_844688442cd85a703578374dd2ceba36, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सबब तो कुछ भी नहीं और उदास रहता है - नसीम अहमद नसीम कविता - Darsaal

सबब तो कुछ भी नहीं और उदास रहता है

सबब तो कुछ भी नहीं और उदास रहता है

ये कैसा दर्द है जो दिल के पास रहता है

मुझे पता नहीं उस का मगर ये सुनता हूँ

वो इन दिनों मिरे घर के ही पास रहता है

मिरी किताब के औराक़ सब तुम्हारे हैं

जहाँ से देखो तिरा इक़्तिबास रहता है

मैं काटता हूँ हर एक लम्हा कर्बला की तरह

लबों पे प्यास तो दिल में हिरास रहता है

मैं कल तलक जिसे इक आँख भी ये भाता था

उसी के दिल में मिरा अब निवास रहता है

'नसीम' नाम के उस आदमी से मिलना तुम

न जाने हर घड़ी क्यूँ बद-हवास रहता है

(458) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Naseem Ahmad Naseem. is written by Naseem Ahmad Naseem. Complete Poem in Hindi by Naseem Ahmad Naseem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.