मिरी औक़ात वो इस तरह बता देता है
मिरी औक़ात वो इस तरह बता देता है
ख़ाक ले कर के हवाओं में उड़ा देता है
मैं बहुत दूर चला जाता हूँ जब भी ख़ुद से
मेरे अंदर से कोई मुझ को सदा देता है
लाख करता रहा मैं उस को भुलाने की सई
याद रह रह के कोई उस की दिला देता है
जब भी चाहा कि उसे बढ़ के मैं फ़ौरन छू लूँ
कच्ची नींदों से कोई मुझ को जगा देता है
उस से वाबस्ता हैं कुछ ऐसी पुरानी यादें
जब भी आता है मिरी नींद उड़ा देता है
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