ले के दिल दर्द पाएदार दिया
चाँदनी के एवज़ ग़ुबार दिया
शर्म आती है आप से कहते
आप की दोस्ती ने मार दिया
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(730) Peoples Rate This
अमृत से फ़ज़ाएँ दम-ब-दम धुलती हैं
जो महरम-ए-गुलज़ार-ए-जहाँ होते हैं
फिर इस दुनिया से उम्मीद-ए-वफ़ा है
एक आम सी लड़की
हयात है कि मुसलसल सफ़र का आलम है
चेहरे की तब-ओ-ताब में कौंद लपके
डूब कर पार उतर गए हैं हम
राख
तिरा तज़्किरा सू-ब-सू क्यूँ करें हम
लाख काटो रगें सदाक़त की
ये सोच कर भी हँस न सके हम शिकस्ता-दिल
दुनिया है इरम से भी हसीं देख ज़रा