इंतिक़ाम-ए-ग़म-ओ-अलम लेंगे
ज़िंदगी को बदल के दम लेंगे
मर गए तो फ़ज़ा-ए-गीती के
ज़र्रे ज़र्रे में हम जनम लेंगे
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
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बद-गुमाँ मुझ से न ऐ फ़स्ल-ए-बहाराँ होना
फिर इस दुनिया से उम्मीद-ए-वफ़ा है
तूफ़ान-ए-ग़म की तुंद हवाओं के बावजूद
तिरा तज़्किरा सू-ब-सू क्यूँ करें हम
माहौल से ज़ुल्मत की रिदा हटती है
चोट खा कर भी मुस्कुराता हूँ
आँखों में सहर झलक रही है गोया
कैफ़ पर भी है कैफ़ का आलम
ले के दिल दर्द पाएदार दिया
अक़्ल से सिर्फ़ ज़ेहन रौशन था
एक आम सी लड़की
तू मिरी ज़िंदगी का परतव है