ग़म की रातों के ख़्वाब लाया हूँ
हदिया-ए-इज़्तिराब लाया हूँ
शोख़ लफ़्ज़ों के आबगीनों में
आँसुओं की शराब लाया हूँ
Rahat Indori
Wasi Shah
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
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किसी के जौर-ओ-सितम का तो इक बहाना था
एक क्लर्क लड़की
महफ़िल उन की साक़ी उन का
रूह की आँच में उबाला है
कौन सुलगते आँसू रोके आग के टुकड़े कौन चबाए
सरहद-ए-होश से गुज़रता हूँ
ले के दिल दर्द पाएदार दिया
तिरा तज़्किरा सू-ब-सू क्यूँ करें हम
अल्लाह रे बे-ख़ुदी कि तिरे पास बैठ कर
इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न हो
जब अहल-ए-गुलिस्ताँ को शुऊ'र आएगा
साक़िया साक़िया सँभाल उसे