ज़िंदगी नाम है जुदाई का
आप आए तो मुझ को याद आया
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मस्लहत
चोट खा कर भी मुस्कुराता हूँ
ज़िंदगी से तो ख़ैर शिकवा था
हयात है कि मुसलसल सफ़र का आलम है
मेरी ग़मगीन ओ ज़र्द सूरत को
एक क्लर्क लड़की
तिरा तज़्किरा सू-ब-सू क्यूँ करें हम
ख़ुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा
एक धोका है ये शब-रंग सवेरा क्या है
इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न हो
अक़्ल से सिर्फ़ ज़ेहन रौशन था
माहौल से ज़ुल्मत की रिदा हटती है