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माना तिरी नज़र में तिरा प्यार हम नहीं - नक़्श लायलपुरी कविता - Darsaal

माना तिरी नज़र में तिरा प्यार हम नहीं

माना तिरी नज़र में तिरा प्यार हम नहीं

कैसे कहें कि तेरे तलबगार हम नहीं

सींचा था जिस को ख़ून-ए-तमन्ना से रात-दिन

गुलशन में उस बहार के हक़दार हम नहीं

हम ने तो अपने नक़्श-ए-क़दम भी मिटा दिए

लो अब तुम्हारी राह में दीवार हम नहीं

ये भी नहीं के उठती नहीं हम पे उँगलियाँ

ये भी नहीं के साहब-ए-किरदार हम नहीं

कहते हैं राह-ए-इश्क़ में बढ़ते हुए क़दम

अब तुझ से दूर मंज़िल-ए-दुश्वार हम नहीं

जानें मुसाफ़िरान-ए-रह-ए-आरज़ू हमें

हैं संग-ए-मील राह की दीवार हम नहीं

पेश-ए-जबीन-ए-इश्क़ उसी का है नक़्श-ए-पा

उस के सिवा किसी के परस्तार हम नहीं

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In Hindi By Famous Poet Naqsh Layalpuri. is written by Naqsh Layalpuri. Complete Poem in Hindi by Naqsh Layalpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.