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मैं दुनिया की हक़ीक़त जानता हूँ - नक़्श लायलपुरी कविता - Darsaal

मैं दुनिया की हक़ीक़त जानता हूँ

मैं दुनिया की हक़ीक़त जानता हूँ

किसे मिलती है शोहरत जानता हूँ

मिरी पहचान है शेर-ओ-सुख़न से

मैं अपनी क़द्र-ओ-क़ीमत जानता हूँ

तेरी यादें हैं शब-बेदारियाँ हैं

है आँखों को शिकायत जानता हूँ

मैं रुस्वा हो गया हूँ शहर-भर में

मगर किस की बदौलत जानता हूँ

ग़ज़ल फूलों सी दिल सहराओं जैसा

मैं अहल-ए-फ़न की हालत जानता हूँ

तड़प कर और तड़पाएगी मुझ को

शब-ए-ग़म तेरी फ़ितरत जानता हूँ

सहर होने को है ऐसा लगे है

मैं सूरज की सियासत जानता हूँ

दिया है 'नक़्श' जो ग़म ज़िंदगी ने

उसे मैं अपनी दौलत जानता हूँ

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In Hindi By Famous Poet Naqsh Layalpuri. is written by Naqsh Layalpuri. Complete Poem in Hindi by Naqsh Layalpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.