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अपना दामन देख कर घबरा गए - नक़्श लायलपुरी कविता - Darsaal

अपना दामन देख कर घबरा गए

अपना दामन देख कर घबरा गए

ख़ून के छींटे कहाँ तक आ गए

भूल थी अपनी किसी क़ातिल को हम

देवता समझे थे धोका खा गए

हर-क़दम पर साथ हैं रुस्वाइयाँ

हम तो अपने आप से शरमा गए

हम चले थे उन के आँसू पोंछने

अपनी आँखों में भी आँसू आ गए

साथ उन के मेरी दुनिया भी गई

आह वो दुनिया से मेरी क्या गए

'नक़्श' कोई हम भी जाएँ छोड़ कर

जैसे 'मीर'-ओ-'ग़ालिब'-ओ-'सौदा' गए

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In Hindi By Famous Poet Naqsh Layalpuri. is written by Naqsh Layalpuri. Complete Poem in Hindi by Naqsh Layalpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.