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इक निगाह-ए-दिलबरी मेरी तरफ़ - नामी अंसारी कविता - Darsaal

इक निगाह-ए-दिलबरी मेरी तरफ़

इक निगाह-ए-दिलबरी मेरी तरफ़

ज़िंदगी आ जाएगी मेरी तरफ़

सीम-ओ-ज़र का इक शजर उस के लिए

शाख़-ए-इल्म-ओ-आगही मेरी तरफ़

मेरे अंदर भी अँधेरा है बहुत

रौशनी ऐ रौशनी मेरी तरफ़

सैर-ए-गुल सैर-ए-चमन सब उस के नाम

शहर भर की ना-ख़ुशी मेरी तरफ़

दस्त-ए-मजनूँ के हिरन काले हुए

बर्फ़ सी गिरती हुई मेरी तरफ़

उस के दस्त-ए-नाज़ में लाखों हुनर

मेरा पा-ए-ना-रसी मेरी तरफ़

मैं कि 'नामी' पासदार-ए-फ़िक्र-नौ

जुर्म-हा-ए-गुफ़्तनी मेरी तरफ़

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In Hindi By Famous Poet Nami Ansari. is written by Nami Ansari. Complete Poem in Hindi by Nami Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.