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ऐ आबला-पा और भी रफ़्तार ज़रा तेज़ - नामी अंसारी कविता - Darsaal

ऐ आबला-पा और भी रफ़्तार ज़रा तेज़

ऐ आबला-पा और भी रफ़्तार ज़रा तेज़

इस दश्त-ए-पुर-असरार में चलती है हवा तेज़

आसार तो कुछ ऐसे ख़तरनाक नहीं थे

क्या जानिए किस तरह ये तूफ़ान हुआ तेज़

कुछ अब्र-ओ-हवा बर्क़-ओ-शरर से नहीं मतलब

इस दौर-ए-पुर-आशोब में हर शय है सिवा तेज़

क्या मौज-ए-सुख़न क्या नफ़स-ए-साएक़ा-परवर

बस ये है कि हो जाती है आवाज़-ए-अना तेज़

उठते हैं सर-ए-राह जहाँ ज़र्द बगूले

होता है वहीं रक़्स-ए-जुनूँ और सिवा तेज़

शायद कि रग-ए-जाँ में लहू ज़िंदा है अब तक

अक्सर दर-ए-ज़िंदाँ से उभरती है सदा तेज़

तक़दीर-ए-मोहब्बत भी बदल जाएगी 'नामी'

उन हाथों पे हो जाए ज़रा रंग-ए-हिना तेज़

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In Hindi By Famous Poet Nami Ansari. is written by Nami Ansari. Complete Poem in Hindi by Nami Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.